जौनपुर। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत वित्त विधेयक 2025 के खिलाफ पेंशनर्स, शिक्षक, और सरकारी कर्मचारियों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के बैनर तले हुए इस आंदोलन में माध्यमिक शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, विकास भवन, कलेक्ट्रेट, एवं दर्जनों विभागों के कर्मचारी भारी संख्या में शामिल हुए।
प्रदर्शन में गूंजे नारे, तीन घंटे चला धरना-प्रदर्शन
सभा की संयुक्त अध्यक्षता सी.बी. सिंह और अरविंद शुक्ला ने की। प्रदर्शनकारियों ने बैनर-पोस्टर लेकर सरकार की "पेंशन-विरोधी" नीतियों का विरोध किया और तीन घंटे तक नारेबाजी और सभा के माध्यम से अपना रोष जताया।
सभा में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार वित्त विधेयक के जरिए पेंशनर्स को वेतन आयोग और महंगाई राहत से वंचित करना चाहती है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रमुख मांगे जो सभा में पारित की गईं:
- वित्त विधेयक 2025 को तत्काल वापस लिया जाए।
- केंद्रीय आठवां वेतन आयोग शीघ्र गठित किया जाए।
- पेंशन के पुनरीक्षण की तिथि एवं सिद्धांत में समानता सुनिश्चित की जाए।
- 18 महीने से रोकी गई महंगाई राहत तत्काल बहाल की जाए।
- महंगाई राहत को महंगाई भत्ते से डी-लिंक न किया जाए।
- पेंशन राशिकरण कटौती की अवधि 15 से घटाकर 10 वर्ष की जाए।
- एनपीएस और यूपीएस समाप्त कर ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) बहाल की जाए।
कर्मचारी नेताओं ने की घोषणा - अब आर-पार की लड़ाई
अरविंद शुक्ला, सी.बी. सिंह और संतोष कुमार सिंह सहित सभी नेताओं ने सरकार को चेताते हुए कहा कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
नगर मजिस्ट्रेट इंद्र नंदन सिंह ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर ज्ञापन प्राप्त किया और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
प्रदर्शन में ये प्रमुख नेता रहे शामिल:
राकेश श्रीवास्तव, सत्यदेव सिंह, अशोक मौर्य, ओंकारनाथ मिश्र, रमाशंकर पाठक, मंजूरानी राय, कांति सिंह, अंजू यादव, वेचन मिश्र, शिवेंद्र सिंह रानू, नरेन्द्र त्रिपाठी, राम केश यादव, रमेश, सुनील कुमार यादव, कंचन सिंह, लक्ष्मीकांत, दशरथ राम, बिक्रमाजीत यादव आदि।