धान की कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने से वायु प्रदूषण के साथ-साथ जमीन को भी नुकसान पहुंचता है। पराली का धुंआ उड़ता हुआ वायुमंडल में आ जाता है, जिससे दिन में भी धुंध छा जाती है और लोग साफ सुथरी हवा के लिए तरसने लगते हैं। पराली जलाने से किसानों काे भी नुकसान होता है। केंचुआ को किसानों का दोस्त माना जाता है। क्योंकि यह जमीन को भुरभुरा ंबनाता है। जिससे उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है, लेकिन पराली जलाने से केंचुआ मर जाता है। नाइट्रोजन पहुंचाने वाली बैक्टीरिया भी मर जाती है : पराली जलाने से खेत की मिट्टी में पाया जाने वाला राइजोबिया बैक्टीरिया भी मर जाता है। यह बैक्टीरिया पर्यावरण की नाइट्रोजन को जमीन में पहुंचाता है जिससे खेत की पैदावार क्षमता बढ़ जाती है। पराली जलाने से पर्यावरण काे काफी नुकसान होता है।