जौनपुर: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर जिले के धर्मापुर ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही में देरी को गंभीरता से लेते हुए जौनपुर डीएम पर ₹10,000 का हर्जाना लगाया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने दिया। साथ ही, ब्लॉक प्रमुख की याचिका को खारिज कर दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
धर्मापुर क्षेत्र पंचायत के 44 सदस्यों में से 32 ने ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। नियमों के अनुसार, इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई जानी थी, लेकिन 12 अन्य सदस्यों को नोटिस भेजने में देरी की गई, जिससे बैठक स्थगित करनी पड़ी।
कोर्ट ने माना कि यह देरी जानबूझकर की गई, जिससे पूरी प्रक्रिया में अनावश्यक विलंब हुआ। पहले 19 मार्च 2025 को प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठक तय थी, लेकिन देरी के कारण यह नहीं हो सकी। इसके बाद, 9 अप्रैल की नई तारीख निर्धारित की गई और दोबारा नोटिस भेजे गए।
डीएम पर हर्जाना और सरकारी आदेश
हाईकोर्ट ने जौनपुर डीएम को आदेश दिया कि 15 दिनों के भीतर ₹10,000 का हर्जाना मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करें। इसके साथ ही, राज्य सरकार को यह अधिकार दिया गया कि यदि किसी अधिकारी की लापरवाही से नोटिस भेजने में देरी हुई, तो यह राशि उसकी वेतन से वसूली जा सकती है।
अगली सुनवाई कब होगी?
अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल 2025 को होगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि कोर्ट के आदेश का पालन हुआ या नहीं।
निष्कर्ष
इस फैसले से प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ा संदेश गया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि नियमों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब सभी की निगाहें 8 अप्रैल की सुनवाई पर टिकी हैं।