Jaunpur News यूपी में बिजली कर्मियों का हल्ला बोल: 21 मई से विरोध प्रदर्शन, 29 से अनिश्चितकालीन हड़ताल

Neeraj Yadav Swatantra
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यूपी में बिजली कर्मियों का हल्ला बोल: 21 मई से विरोध प्रदर्शन, 29 से अनिश्चितकालीन हड़ताल


लखनऊ। 20 मई 2025

उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समिति ने ऐलान किया है कि 21 मई से पूरे प्रदेश में प्रतिदिन तीन घंटे का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, जो 28 मई तक चलेगा। इसके बाद 29 मई से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू किया जाएगा।


प्रदर्शन का मुख्य आरोप: घाटे के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा


प्रेस विज्ञप्ति में समिति ने पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह घाटा बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं और आम उपभोक्ताओं पर बोझ डालना चाहते हैं, जिससे निजी कंपनियों को लाभ पहुंचे। समिति ने बताया कि एआरआर (Annual Revenue Requirement) में महज चार दिन के भीतर घाटे की राशि 9206 करोड़ से बढ़ाकर 19600 करोड़ कर दी गई, जो आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।


आगरा का उदाहरण और निजीकरण की विफलता


समिति ने आगरा वितरण क्षेत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां निजीकरण के बाद आज भी पावर कॉरपोरेशन 5.55 रुपये प्रति यूनिट में बिजली खरीदकर 4.36 रुपये में निजी कंपनी को दे रहा है, जिससे 274 करोड़ रुपये का वार्षिक घाटा हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के सभी हालिया आंकड़े भ्रामक और तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए हैं।


शक्ति भवन में टकराव की स्थिति


आज लखनऊ स्थित शक्ति भवन में प्रदर्शन के दौरान प्रबंधन द्वारा सभी गेट बंद करवा दिए गए, जिससे अंदर-बाहर आवागमन बाधित हुआ। संघर्ष समिति ने इसे दमनात्मक नीति करार दिया और कहा कि इसका पूरा दायित्व चेयरमैन पर है।


प्रांत भर में हुए विरोध प्रदर्शन


प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि आज प्रदेश के कई जिलों में जोरदार विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें प्रमुख रूप से वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, नोएडा, झांसी, मिर्जापुर, बरेली, गाजियाबाद, अयोध्या, ओबरा, पिपरी, अनपरा समेत अन्य कई जिलों का नाम शामिल है।



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संघर्ष समिति की प्रमुख मांगें:


निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए


घाटे के आंकड़ों की स्वतंत्र जांच करवाई जाए


कर्मचारी हितों की रक्षा की जाए


सार्वजनिक रूप से एआरआर व सब्सिडी के मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट की जाए

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